संथारा साधक जीवदया प्रेमी मेहता के नेत्रदान से दो जिंदगियों में उजाला होगा

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हिम्मत मेहता रावटी
रावटी । सागरमल मेहता ने अपने जीवन काल में जीवदया,जैन धर्म की शिक्षा से बच्चो को धर्म का ज्ञान हो इसके साथ ही जैन धर्म की पुस्तके निरंतर प्रकाशित हो और पढ़कर समाज की नई पीढ़ी जैन धर्म के मर्म को जीवन में उतारे इस लिए जीवन भर प्रयास करते रहे ! जीवदया, जैन पाठशाला जैसे कार्य के लिए दान एकत्रित करने के लिए लगातार प्रयास करते थे !

यह बात स्थानीय कृषि उपज मंडी पर आयोजित गुणानुवाद सभा में संथारा साधक सागरमल मेहता के संथारा सहित स्वर्गवास पर आयोजित गुणानुवाद सभा में वक्ताओं ने उनके व्यक्तित्व और कृतित्व पर ध्यान आकृष्ट करते हुएअपने श्रद्धा सुमन अर्पित किए! इस अवसर पर परिजनों ने विभिन्न संस्थाओं के लिए दान राशि भी भेट की !

जैन वर्धमान स्थानक वासी संघ के पारसमल गांधी,मोहन लाल मेहता, खाचरोद निवासी मंजुबाला भटेवरा, सेवानिवृत शिक्षक बाबूलाल परमार , धर्मपाल भंडारी धामनोद , शेलु मेहता,साक्षी मेहता ,निशिता मेहता,श्रेष्ठिमेहता, आदि ने संबोधित किया !मंगलपाठ महामांगलिक मोहन लाल मेहता ने श्रवण करवाई ! संथारा साधक के नैत्रदान से दो नेत्र हीनो को ज्योति मिलेगी।


उल्लेखनीय है की श्री मेहता का 15 सितंबर को संथारे सहित स्वर्गवास होने पर डोलयात्रा निकालकर मुक्तिधाम पर अंतिम संस्कार किया था ! अंतिम यात्रा के पूर्व नेत्रदान किए

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