हमीरपुर. साल 1911 में अंग्रेजी शासनकाल की तिजोरी आज भी हिमाचल प्रदेस के हमीरपुर शहर के वार्ड-11 के लाहलड़ी गांव में मौजूद है. इस तिजौरी कोअंग्रेजों के समय में लोगों के पैसों को सुरक्षित रखने के लिए इस्तेमाल किया जाता था. उस समय स्लेटों के व्यापार से कमाए गए पैसों और दस्तावेजों को सम्भाल कर रखने के लिए तिजोरी इस्तेमाल होती थी. तिजोरी की खासियत यह है कि इसमें एक चाबी से चार लॉक एक साथ लगते है और तिजोरी के लॉक को तलाश करना भी पहेली है.
हमीरपुर शहर में साल 1932 में बनाया गया एक मकानस जो पूरा पत्थरों से बना हुआ है, अब भी मौजूद है. इस मकान के अंदर एक स्तभ ऐसा है, जो पूरा एक पत्थर से बना हुआ है. इस मकान की खासियत है की यह मकान गर्मियों में ठंडा और सर्दियों में गर्म रहता है.
तिजोरी के मालिक बताते हैं कि इसमें एक चाबी से चार लॉक एक साथ लगते है.
हमीरपुर के लाहलड़ी गांव के निवासी देवीदास शहंशाह ने इस धरोहर को बहुत संभाल कर रखा है, जिसमें मौजूदा समय में आंगनवाड़ी केंद्र चल रहा है. देवीदास ने बताया कि यह तिजोरी 1911 में एक नीलामी में हमारे बुजुर्गों ने ली थी. इस तिजोरी का प्रयोग पैसों या जरूरी दस्तावेजों को रखने के लिए किया जाता था. तिजोरी की खास बात है कि कोई आम आदमी इस तिजोरी को नहीं उठा सकता है, क्योकि इसका वजन ही डेढ़ क्विंटल के करीब है.
हमीरपुर शहर में साल 1932 में बनाया गया एक मकान, जो पूरा पत्थरों से बना हुआ है
एक चाबी से लगते हैं लॉकः मालिक
तिजोरी के मालिक बताते हैं कि इसमें एक चाबी से चार लॉक एक साथ लगते है. उन्होंने कहा कि अगर इसमें लॉक लगा दिया जाए तो कोई इसे खोल नहीं सकता है. देवीदास ने बताया कि 1932 में बनाये गए इस मकान की खासियत ये है कि ये 24 घंटे ठंडा रहता है. उन्होने कहा कि ये मकान गर्मियों में ठंडा और सर्दियों में गर्म रहता है. गौरतलब है कि आज के समय में इस तरह की पुरातन चीजों को संजोकर रखने में देवीदास ने हामी भरी है, जिसे देखकर हर कोई दंग रह जाता है.
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FIRST PUBLISHED : October 5, 2023, 12:32 IST